खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर एवं कृषि विज्ञान केंद्र, जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान में 20वें गाजरघास जागरूकता सप्ताह 2025 के अंतर्गत एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन 21 अगस्त 2025 को कृषि विज्ञान केंद्र, जबलपुर में किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जनसाधारण को गाजरघास के हानिकारक प्रभावों से अवगत कराना और इसके प्रबंधन के उपायों की जानकारी प्रदान करना था, ताकि समाज में इस आक्रामक खरपतवार के प्रति जनचेतना विकसित हो और सामूहिक प्रयासों से इसका उन्मूलन किया जा सके। इस कार्यक्रम में अभ्यर्थी, इनपुट डीलरों एवं किसानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ हुआ, जिसके उपरांत स्वागत उद्बोधन कृषि विज्ञान केंद्र, जबलपुर की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. रश्मि शुक्ला द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रधान कृषि वैज्ञानिक एवं गाजरघास जागरूकता सप्ताह के आयोजन के समन्वयक डॉ पी के सिंह थे।
अपने उद्बोधन में डॉ. पी. के. सिंह ने गाजरघास के हानिकारक प्रभावों एवं इसके वैज्ञानिक प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह खरपतवार न केवल कृषि उत्पादन बल्कि मानव स्वास्थ्य, पशुधन एवं पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जन-जागरूकता और सहभागिता के माध्यम से ही इसके उन्मूलन को सफल बनाया जा सकता है। उन्होंने ग्रामीण युवाओं के लिए उद्यमिता विकास पर बल देते हुए ज़ायगोग्राम्मा कीट के सामूहिक संवर्धन और उपयोग के महत्व को रेखांकित किया। डॉ. अर्चना अनोखे, वैज्ञानिक (कीटविज्ञान) ने ऑडियो-वीडियो प्रेज़ेंटेशन के माध्यम से गाजरघास के दुष्प्रभावों और इसके एकीकृत प्रबंधन के उपायों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गाजरघास की रोकथाम में जैविक उपायों का विशेष महत्व है, जिनमें इसका प्रमुख प्राकृतिक शत्रु मैक्सिकन बीटल (ज़ायगोग्राम्मा कीट) प्रभावी सिद्ध हुआ है।
कार्यक्रम में इस कीट के जीवंत नमूने प्रदर्शित किए गए। इसी क्रम में अभ्यर्थियों एवं कृषि विज्ञान केंद्र, जबलपुर के स्टाफ को मैक्सिकन बीटल प्रदान किए गए, ताकि वे अपने-अपने क्षेत्रों में, जहाँ गाजरघास का प्रकोप है, इन्हें छोड़ सकें। कृषि विज्ञान केंद्र, जबलपुर परिसर के आसपास के क्षेत्र में भी मैक्सिकन बीटल छोड़े गए। इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि वे गाजरघास के दुष्प्रभावों के बारे में समाज में व्यापक जागरूकता फैलाएँगे और इसके प्रबंधन में व्यक्तिगत तथा सामुदायिक स्तर पर सक्रिय भूमिका निभाएँगे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. डी. के. सिंह द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ए. के. सिंह ने प्रस्तुत किया। इस आयोजन में लगभग 100 प्रतिभागियों, जिनमें अभ्यर्थी, इनपुट डीलर एवं किसान शामिल थे, जिन्होंने इस एकदिवसीय कार्यशाला में उत्साहपूर्वक भाग लिया और गाजरघास-मुक्त समाज के निर्माण का संकल्प लिया। इस अवसर पर वैज्ञानिक – डॉ. अर्चना अनोखे, डॉ. जे. के. सोनी, डॉ. दीक्षा एम. जी., श्री एम. के. मीणा (एसीटीओ) सहित कृषि विज्ञान केंद्र, जबलपुर के वैज्ञानिक एवं कर्मचारीगण भी उपस्थित रहे।